ताऊ के पास ना थे पैसे ही
वो बस में बैठ लिया ऐसे ही
बस में भीड़ से हो रही थी घनिए हीट
ताऊ को ना दीखी कोई खाली सीट
मौसम था वो गरमी का
ताऊ ने सोचा जमाना ना रहा नरमी का
उसने एक मरियल से को दिया ठाकर पटक
और उसकी सीट को लिया झपट
थोड़ी देर में उसके सामने समस्या आगी विकट
जब चैक होण लागी टिकट
देख चैकर को उसके दिल की बढने लगी धड़कन
छोड़ सीट खिडक़ी केन्या वो लाग्या सरकण
चैकर पर थी उसकी नजर कसूती
ढूंगे पै टांग धोती ,हाथ में लेली जूती
इतने में चैकर आग्या और निकट
और बोल्या ताऊ दिखा टिकट
ताऊ बोल्या बेटा तू टिकट देखण का लारहसा दे छोड़
और तू देख अपणे ताऊ की दौड़
और ताऊ बस से कूद ,गया पत्ता तौड़
हा हा हा
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