Sunday, February 16, 2014

bina ticket yatra


ताऊ के पास ना थे पैसे  ही
वो बस में बैठ लिया ऐसे ही  
बस में भीड़ से हो रही थी घनिए हीट 
ताऊ को ना दीखी कोई खाली सीट 
मौसम था वो गरमी का 
ताऊ ने सोचा जमाना ना रहा नरमी का 
उसने एक मरियल से को दिया ठाकर पटक 
और उसकी सीट को लिया झपट 
थोड़ी देर में उसके सामने समस्या आगी विकट 
जब चैक होण लागी टिकट 
देख चैकर को उसके दिल की बढने लगी धड़कन 
छोड़ सीट खिडक़ी केन्या वो लाग्या सरकण 
चैकर पर थी उसकी नजर कसूती 
ढूंगे पै  टांग धोती ,हाथ में लेली जूती
इतने में चैकर आग्या और निकट 
और बोल्या ताऊ दिखा टिकट 
ताऊ बोल्या बेटा तू टिकट देखण का लारहसा दे छोड़ 
और तू देख अपणे ताऊ की दौड़ 
और ताऊ बस से कूद ,गया पत्ता तौड़ 

















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